राम सीता लक्षमण का पंचवटी में रहना
दोस्तों माता सीता के आदेश में लक्ष्मण जी श्री राम को ढूँढ़ने गए थे और कुटिया के बाहर लक्ष्मण रेखा मारकर माता सीता को बोलते हैं कि " भाभी आप इस लक्ष्मण रेखा के बाहर किसी भी हालत में मत आना " क्या है दोस्तों पूरी कथा आइये जानते हैं।
ये बात त्रेतायुग की है जब श्री राम माता सीता और उनके छोटे भाई लक्ष्मण एक साथ पंचवटी में एक छोटी सी कुटिया में रहते थे।
लक्ष्मण के द्वारा शूर्पणखा की नाक कटना
एक बार रावण की बहन "शूर्पणखा " ने श्री राम को देखा और श्री राम से खुद से विवाह करने को कहा। परन्तु श्री ने " शूर्पणखा " को मना कर दिया " कि मेरा विवाह देवी सीता से हो चुका है " अब मैं आपसे विवाह नहीं कर सकता हूँ ।
फिर " शूर्पणखा " लक्ष्मण के पास जाती है परन्तु लक्ष्मण क्रोध में आकर " शूर्पणखा " की नाक काट देते हैं। इस घटना के बाद " शूर्पणखा " रो - रो कर " खर और दूषण " के पास गयी और ये सारी बात बता दी। इन सब बात को जानकर " खर और दूषण " क्रोधित हो गए और श्री राम और लक्षमण का वध करने चले गए।
राम और खर दूषण युद्ध
जब श्री राम ने देखा की " खर और दूषण " उन पर हमला करने आ रहे हैं। श्री राम और खर दूषण के मध्य भीषण युद्ध हुआ जिस कारण अंत में श्री राम ने " खर दूषण " का अंत कर दिया और उन दोनों को मृत्यु के घाट उतार दिया।
खर और दूषण की मृत्यु की खबर रावण को पता चल गयी और रावण इस बात से बहुत अधिक क्रोधित हो गया और फिर रावण ने "शूर्पणखा " से सारी घटना के बारे में पूछा । "शूर्पणखा " ने रावण को सब कुछ बताया और फिर रावण को बदला लेने को कहा ।
रावण का मामा मारीच के पास जाना
" शूर्पणखा " के कहने पर तब रावण ने अपनी बहन का बदला लेने की कसम ली। और श्री राम के खिलाफ सड़यंत्र रचने के लिए पहले अपने मामा मारीच के पास गया ।
फिर रावण एक दिन अपने मामा के पास गए और ये कहने लगे कि " मामा मारीच मुझे आपकी सहायता चाहिए और मैं राम का विवाह अपनी बहन " शूर्पणखा " से कराना चाहता हूँ । परन्तु रावण के मामा ने रावण से ये सब कार्य करने को मना कर दिया और रावण का साथ देने को मना कर दिया।
मारीच के लाख समझाने के बाद रावण ने अपने मामा की बात नहीं मानी और श्री राम के खिलाफ साजिश (सड़यंत्र ) रचने लगा ।
एक दिन रावण और रावण का मामा " मारीच " श्री राम की कुटिया " पंचवटी " में आये और फिर रावण ने अपने मामा " मारीच " को स्वर्ण का हिरन (मृग ) बनने को कहा जिसे देखकर देवी सीता उस स्वर्ण के हिरन को पाने की इच्छा जताये ।
जब मारीच माता सीता के सामने स्वर्ण मृग बनकर आया तो माता सीता ने प्रभु श्री राम से स्वर्ण हिरन ( मृग ) लाने को कहा और बोला " स्वामी " मुझे ये स्वर्ण हिरण (मृग ) चाहिए।
परन्तु श्री राम ने माता सीता को समझा दिया था कि हे " सीते " इस पंचवटी जंगल में अनेक राक्षस होंगे और वो अपनी माया से कुछ भी बन सकते हैं इसलिए हे " प्रिये " तुम स्वर्ण हिरण (मृग ) की इच्छा छोड़ दो ।
परन्तु माता सीता भगवान राम की एक नहीं सुनती है और स्वर्ण हिरण (मृग ) की जिद करती है।
माता सीता के बार - बार कहने पर फिर श्री राम स्वर्ण हिरण (मृग ) जो की मारीच था उसको पकड़ने उसके पीछे चले जाते हैं और लक्ष्मण को अपनी भाभी की रक्षा करने को कहते हैं और स्वयं स्वर्ण हिरण (मृग ) के पीछे चले जाते है।
श्री राम का मारीच ( स्वर्ण मृग ) का वध करना
जब श्री राम उस हिरण (मृग ) के पीछे जा रहे थे तो श्री राम समझ चुके थे कि ये साधारण हिरण (मृग ) नहीं हैं बल्कि एक मायावी राक्षस है ।
फिर श्री राम ने अपने बाण से मारीच यानि स्वर्ण हिरण ( मृग ) को मार दिया परन्तु मारीच प्रभु श्री राम की आवाज निकालने लगा और जोर -जोर से कहने लगा कि " हाय लक्ष्मण हाय लक्ष्मण मेरे प्राण बचाओं " मारीच की आवाज माता सीता ने सुन ली जो श्री राम की आवाज निकालकर माता सीता और लक्ष्मण के साथ छल कर रहा था ताकि लक्ष्मण माता सीता को छोड़कर श्री राम की खोज में निकले।
परन्तु लक्ष्मण जी को पता था कि श्री राम इस प्रकार से कभी नहीं बोलेंगे वो जानते थे कि श्री राम को मारने वाला इस संसार में कोई नहीं है। परन्तु माता सीता लक्ष्मण को बोलती है कि हे " लक्ष्मण तुम जाओ अपने भाई की रक्षा करो ।
लक्ष्मण का कुटिया के बाहर लक्ष्मण रेखा खींचना और राम को ढूंढ़ने जाना
लक्ष्मण जी माता सीता को बहुत समझाते हैं परन्तु माता सीता नहीं मानती है और लक्ष्मण जी को आदेश देती हैं जाओ अपने भाई को ढूंढ कर लाओ।
तब माता सीता के बार - बार कहने पर लक्ष्मण जी श्री राम को ढूंढ़ने के लिए चले गए परन्तु माता सीता को कुटिया के बाहर आने को मना कर दिया और कुटिया के बाहर अपने तीर से लक्ष्मण रेखा चारों तरफ खींच देते हैं ।
ये सब रावण देख रहा था और जैसे ही रावण ने देखा लक्ष्मण चला गया वैसे ही वो साधु के रूप में माता सीता के कुटिया के बाहर बिक्छा मांगने लगा और फिर रावण ने छल से माता सीता का हरण कर लिया ।
दोस्तों ये सब रावण की ही योजना थी उसी ने मारीच को स्वर्ण " मृग " बनाकर भेजा था ताकि वो अपनी बहन का बदला ले सकें और माता सीता का हरण कर सकें। और जब लक्ष्मण जी राम जी को ढूंढ़ने जा रहे थे तो उन्होंने जाने से पहले कुटिया के बाहर अपने तीर से लक्ष्मण रेखा खींच थी ।
0 Comments
दोस्तों कोई भी गलत मैसेज न करे और आपको हमारा ब्लॉग कैसे लगाता है हमें जरूर बताये।