भगवान श्री गणेश की उत्पति
ये तो आप जानते होंगे श्री गणेश आदिशक्ति माता पार्वती और शिव के पुत्र हैं लेकिन क्या जानते हैं श्री गणेश के जन्म के पीछे क्या वजह थी और कैसे इनका जन्म हुआ आइये हमको बताते विस्तार से।
पौराणिक कथानुसार और शिव पुराण के अनुसार एक बार माता पार्वती और उनकी सहेलियाँ स्नान कक्ष में स्नान (नहा ) कर रही थी और माता पार्वती ने शिव शंकर के गण नंदी और श्रृंगी को स्नान कक्ष के द्वार पर खड़ा कर दिया ताकि कोई भी अंदर न आ सके फिर चाहें वो शिव शंकर ही क्यों न हो ।
माँ पार्वती के आदेश पर नंदी और श्रृंगी स्नान कक्ष के द्वार पर खड़े हो जाते हैं , जब शंकर भगवान आये तो वो माता पार्वती से मिलने जा ही रहे थे की नंदी और श्रृंगी ने भगवान शंकर को रोक दिया और अंदर जाने से इंकार कर दिया।
भगवान शिव को नंदी और श्रृंगी के द्वारा मना करने पर उन दोनों पर बहुत क्रोद्धित होते हहैं और भगवान शंकर का क्रोध देखकर नंदी और श्रृंगी डर जाते हैं जिस कारण उन्होंने शिव शंकर का रास्ता नहीं रोका और भोले शंकर माता पार्वती को मिलने के लिए चले जाते हैं ।
जब भगवान शिव अंदर गए तो उन्होंने देखा की माँ पार्वती और उनकी सहेलियाँ स्नान कर रहे हैं ( ये सब शिव शंकर को पता नहीं था कि माता पार्वती और उनकी सहेलियाँ अंदर स्नान कर रहे हैं ) परन्तु माता पार्वती की सहेलियां भगवान शिव को देखकर शर्मा गयी और माता पार्वती को बोलनी लगी " देवी पार्वती आप तो कह रही थी कि द्वार पर मेरे विस्वश्नीय द्वारपाल नंदी और श्रृंगी है वो किसी को अंदर नहीं आने देंगे तो फिर भोले शंकर अंदर कैसे आये "
सहेलियों की ये बात सुनकर माता पार्वती को क्रोधित हो गयी और खुद के मन में सोचने लगी कि " मैं अब अपना स्वयं का विश्वसनीय द्वारपाल की रचना करूंगी जो द्वार से किसी को भी बिना मेरे अनुमति के अंदर नहीं आने देगा।
माता पार्वती के मैल से गणेश की उत्पति
दोस्तों जब माता पार्वती स्नान करके आ रही थी तो माँ पार्वती ने अपने तन के मैल को इक्कठा करा और उस मैल से एक बालक के आकर की आकृति बनाई और उसको अपनी शक्ति अपने अंश से उस आकृति को एक पुत्र के रूप में बदला जिससे एक पुत्र का जन्म हुआ जिसका नाम माँ पार्वती ने श्री गणेश रखा था।श्री गणेश के जन्म के बाद माता पार्वती ने गणेश को अपने स्नान कक्ष के बाहर द्वारपाल के रूप में एक दंड देकर वहां पर खड़े होने आदेश दिया और किसी को भी अंदर न आने को कहा , माँ पार्वती के आदेश को मानकर बालक गणेश द्वारपाल के रूप में स्नान कक्ष के बाहर खड़े हो गए । और माता के आदेश का पालन करने लगे ।
गणेश का शिव प्रथम मिलन
पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान शंकर अपनी तपस्या पूरी करके माँ पार्वती से मिलने आ रहे थे और माता पार्वती से मिलने अंदर जा ही रहें थे तो गणेश जी ने शिव शंकर रास्ता रोक दिया और उनको अंदर जाने से मना कर दिया , भगवान शंकर ने गणेश को समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन गणेश जी नहीं मानते हैं जिस कारण भगवान शिव को क्रोध आ गया लेकिन भगवान शंकर ने छोटे बालक पर प्रहार करना उचित नहीं समझा इसलिए उन्होंने गणेश जी को ये बोलकर छोड़ दिया कि " हे घमंडी बालक अब तुमसे मेरे शिव गण ही युद्ध करेंगे " ये सब कहकर शिव शंकर वहां से चले गए , और फिर भगवान शंकर ने अपने गणों नंदी , श्रृंगी और अन्य गणों को भेजा ,लेकिन श्री गणेश ने सभी गणों को बुरी तरह अपने दंड मारा जिससे सभी शिव गण घायल हो गए और सभी गण भगवान शिव से पुकार करने लगे "रक्षा करो भगवन रक्षा करो हमारी " हे शिव शंकर ये बालक बहुत शक्तिमान हैं ।
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