Ticker

6/recent/ticker-posts

जानिए भगवान राम और भरत वनवास के दौरान कहाँ मिले थे। Know where Lord Rama and Bharat met during exile ।


श्री  राम  के  वनवास  के  बाद  प्रभु  श्री  राम  और  भरत  का   चित्रकूट  में  मिले  थे ।

क्या  है  दोस्तों  भरत  राम  मिलाप  की  पूरी कथा  आइये  हम  आपको  विस्तार  से  बताते  है। 

दोस्तों  जब  भगवान  राम  माता  सीता  और  लक्ष्मण  अपने  पिता  के  कहने  पर  वनवास  चले  गए   थे । और  भरत  और  शत्रुघन  अपने नैनिहाल  गए   हुए   थे ।  भरत   को  पता   नहीं  था   कि   उनकी  माता   कैकई  ने   उनके  राज   पाठ   के   मोह  में   श्री    राम   को   राजा   दशरथ   से   14 वर्ष  का  वनवास   माँगा   था  और  उनके   लिए  राज्य । दरअसल   दोस्तों  भरत   की   माता   कैकई   को  उनकी   दासी   मंथरा   ने  भड़काया  था  और   कैकई   को  राजा  दशरथ  से   श्री   राम   के   लिए  14  वर्ष   का  वनवास   मांगने   को   कहा । 

जब   भरत  अपने  नैनिहाल(नानी का  घर )  से   वापस   आये   और   जब   उनको   अपनी   माता   के   बारे   में   सब    पता   चला   तो   भरत  ने  अपनी  माता   कैकई   को   भला  - बुरा  सुनाया   और   पूरे   राज   पाठ  को   अस्वीकार   कर   दिया   ये   कहकर   कि   ये  पूरा  राज  पाठ  उनके  बड़े  भाई  श्री  राम  का   है  और   वो   ही   इसमें   राज   पाठ   करेंगे ।

ये  सब  बातें   भरत   के   द्वारा   बोलने   पर   भरत   शत्रुघन   और   उनकी  तीनों  माता  कौशल्या ,  सुमित्रा  ,  कैकई  और  मंत्री  सुमंत  सहित  सभी  लोग  श्री  राम   की   खोज   में   उनको   ढूंढ़ने   के  लिए   निकल   पड़े।

भरत   ने   श्री   राम   की   खोज    में   अपने   सैनिक   गुप्तचर   सभी   को   भेज   देना   का  आदेश   दिया  और  स्वयं  भी   प्रभु  श्री   को  ढूंढ़ने  निकल  पड़े। 

 फिर  भरत   श्री  राम    को   ढूंढ़ते -  ढूंढ़ते   किरात - राज   से   मिले   और   उन्होंने   भरत   से   कहा   मैं   श्री   प्रभु   श्री  राम  से  मिला  हूँ  और  श्री   राम  जी  दिन - भर  आपकी  ही  तारीफ  करते  रहते   हो   कि   आप   कितने   बड़े   भ्राता  भक्त   हो।  

दरअसल   दोस्तों   श्री   राम   जी   भरत   जी   को   जानते   थे   कि   उनको  राज -पाठ   का   कोई  मोह  नहीं   है  और   श्री   राम   जानते   थे  ये  माता  कैकई   के   द्वारा   हुआ   है  जिसमें  भरत   की   कोई   गलती   नहीं   है   जिस   कारण   श्री   राम  किरात -  राज   से   भरत   की  प्रशंसा   करते   थे। 

 फिर  दोस्तों  भरत   जी   को   अचानक   अपने   दूत   से   सूचना   मिली   कि   उनके   भाई   राम   और   माता   सीता   चित्रकूट   की   एक   कुटिया   में   है। 

 फिर   दूत   की   ये   सूचना   सुनकर  भरत  जी   नंगे   पैर   चित्रकूट   के   निकल   गए ।

परन्तु   क्या  आप   जानते    हो   जब   लक्ष्मण   जी  को   पता  चला   कि  भरत  जी  प्रभु  श्री   राम  से  मिलने  आ  रहे  हैं  तो  लक्ष्मण  जी  क्रोध   में  आकर    भरत  जी  को  मारने   के   लिए   जाने  लगे और  श्री  राम  से  कहते  है  " जैसी  माता वैसा  पुत्र "    भरत  अपनी  सेना  को  लेकर  आप  पर  हमला  करने  आ  रहा  है 

" भैया  आप  मुझे  आज्ञा  दे  मैं  सेना  सहित  भरत  का अंत   कर दूंगा "  परन्तु   श्री  राम  के  कहने  पर   लक्ष्मण   जी  रुक  गए ।  क्योंकि   श्री  राम  जी  जानते  थे   कि   भरत  जी  निर्दोष   है । 

दरअसल   लक्ष्मण   ने   सोचा   भरत   श्री   राम   को   अकेले   देखकर  मरने   आ  रहा  है   ताकि   भरत   पूरा   राज  पाठ   हड़प   ले   इसलिए , परन्तु  ऐसा  कुछ  नहीं  था  क्योंकि   राम  जी  जानते  थे  कि  उनका  भरत  ऐसा  नहीं   है ।  

जब   भरत  अपने   बड़े   भाई   श्री   राम   से   मिलने  आये  तो   के  चरणों  में  गिर गए  फिर  प्रभु  श्री  राम   अपने   छोटे  भाई   भरत  को  देखकर भावुक    हो   गए  और  उनके  गले  लग  गए  और  फिर   बाद  में   लक्ष्मण  भी   भरत  जी  से  माफी  मांग  देते   है  कि  वो  उनके  बारे  में  कुछ  और  ही  सोच  रहे  थे।  

तो  दोस्तों  अब  आप  जान  चुके  होंगे   श्री  राम  और  भरत  का  मिलन  चित्रकूट  में  हुआ  था ।

दोस्तों   क्या   आप   जानते   हो   भरत   जी   बहुत   बड़े   राम  भक्त   थे   उन्होंने  14  वर्ष  तक  अपने   राज्य  के  सिंघासन  में  श्री  राम  के  पादुका  को रखा   था  और  उनकी   रोज  भरत   पूजा  करते  थे। 

और  14  वर्ष   तक  भरत  जी  भी  अपने  राज्य  से दूर  रह कर  राज्य  करते  और  अपने  राज्य  का  सारा कार्य  एक  कुटिया  में रह कर  करते थे  और  एक  वनवासी  जैसा जीवन  व्यतीत  करते थे । यहां   तक   ही   दोस्तों   भरत   जी   ने   श्री   राम   जी  से   कहा  था  अगर   वो  14  वर्ष   बाद   अगर  समय  से   नहीं  आएंगे  तो  वो  आत्मदा   कर  देंगे। 

तो   दोस्तों   इस  प्रकार  से   भरत  राम  मिलाप  चित्रकूट   में  हुआ  था ।  

 

 

 

 

          


         



               

           




               

           

 

 


               

           



               

           

     

           


          

           

    

           

Post a Comment

0 Comments