दोस्तों आज 10 जून गुरुवार के दिन वटसावत्री का व्रत है और इस दिन पूरे उत्तर भारत की सुहागन महिलाएं बरगद के पेड़ के चारों ओर परिक्रमा करती है , उसके बाद अपने पति की लम्बी उम्र की कामना करती है।
माना जाता है इसी दिन सावत्री ने अपने पति के प्राणों की रक्षा की थी। उन्होंने अपने पति को यमराज से पुनः नया जीवन दिलाया था।
हिन्दू धर्म में वट सावत्री की पूजा सुहागन महिलाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होती हैं।
कहा जाता है इस दिन व्रत रखने से महिला अखंड सौभाग्यवती रहती है , दोस्तों जान लेते है आज के दिन आपको पूजा किस तरह से करनी है।
हमारे देश में ये व्रत ज्येष्ठ मास की अमावश्या के दिन तो ये रखा ही जाता है लेकिन देश के कुछ ऐसे हिस्से भी है जहाँ ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को भी ये व्रत रखा जाता है।
माना जाता है इस दिन सदा सुहागन रहने का आश्रीवाद महिला को प्राप्त होता है इसलिए इस दिन वट सावत्री का व्रत रखा जाता है।
और कहते हैं होने वाली संतान भी बुद्विमान होती है , इस बार ये व्रत 10 जून को है और इसी दिन साल का पहला सूर्यग्रहण भी है , परन्तु हमारे देश में ये सूर्य ग्रहण मान्य नहीं होगा क्योंकि ये आंशिक सूर्यग्रहण होगा जो पार्लियाकर होगा यानि की कंगन के समान ये सूर्य ग्रहण दिखेगा , और हमारे देश में इस ग्रहण का कोई भी प्रभाव नहीं है इसलिए इस समय कोई भी सूतक काल नहीं लगने वाला , ऐसे में जो भी महिला आज व्रत रखेंगे या बाहर जा के पूजा करना चाहते हैं वो जा सकते हैं।
यदि आप किसी वजह से बाहर पूजा करने नहीं जा सकते हैं और घर पर ही पूजा करना चाहते हैं तो इसकी विधि भी हम आपको बताएँगे।
पूजा सामग्री
क्योंकि दोस्तों लॉकडाउन की वजह से आपको बाजार में बांस का पंखा न मिल पायेगा न मिट्टी के बर्तन ,ऐसे में सबसे अधिक परेशानी उन महिलाओं को होगी उन सुहागिनों को होगी जो पहली बार व्रत को रख रही होगी। क्योंकि उनकी पूजा यदि पूर्ण विधि विधान से नहीं होगी तो ऐसे में उनको परेशानी हो सकती है। और ऐसे में इस व्रत के नियमों का पालन जरुरी होता हैं।
वट सावत्री का व्रत रखने के लिए माँ सावत्री की मूर्ति ,बांस का पंखा ,बरगद का पेड़ ,लाल धागा ,कलस ,मिट्टी का दीपक ,कोई भी मौसमी फल ,पूजा के लिए लाल कपड़े ,सिंदूर कुमकुम और रोली इसके साथ और भी अवश्यक चीजें हैं जैसे चढ़ावे के लिए पकवान चाहिए होंगे ,आपको हलवा पुरी भी बनानी हैं और इसके साथ बरगद फल भी घर पर बनाया जाता है , और अक्षत , हल्दी , शृंगार का सामान ,इसके साथ जल रखने के लिए ताम्बे का लोठा।
पूजा विधि
1 - इस दिन आप सबसे पहले सुबह स्नान कर ले।
2 - स्नान करने के बाद स्वच्छ और साफ वस्त्र पहन ले , हो सके इस दिन सुहागिन लाल रंग के कपड़े पहनें।
3 - बहुत सी महिलाएं आज के दिन अपनी शादी का जोड़ा पहनती हैं और आप चाहें तो अपनी शादी भी पहन सकती हैं।
4 - अब आपको पूजा करने से पहले हाथ में जल लेकर संकल्प लेना हैं पूजा से पहले सूर्य देवता को जल अर्पित करना है।
5 - घर और मंदिर में गंगा जल या गोमूत्र का छिड़कर शुद्ध करना है ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
6 - उसके बाद एक टोकरी में वट सावत्री पूजा का सामान आपको रखना हैं जैसे कि सत्यवान सावत्री की फोटो या मूर्ति ,बांस का पंखा ,लाल धागा ,मिट्टी का दीपक , घी , फूल फल , भीगे हुए चने जो आपको एक रात पहले ही भीगा के रखने हैं ,रोली ,कपड़ा ,सिंदूर , और बर्तन ये सब आपको बांस की टोकरी में या फिर एक थाली में रखना हैं ।
क्योंकि वट सावत्री के दिन बरगद की पूजा विशेष रूप से की जाती हैं अगर आपके लिए संभव नहीं है कि आप बाहर जाकर पूजा कर पाए तो इसके लिए आपको किसी सदस्य से बरगद के पेड़ की टहनी माँगा दीजिये या फिर पत्ते भी माँगा दीजिये उसको एक गमले या कलस में स्थापित कर आप उसकी पूजा कर सकती हैं , आपको पूजा करने से पहले रंगोली बना देनी चाहिए या फिर जहाँ पर भी आप पूजा करती हो उस जगह पर आप गंगा जल छिड़क कर आप पवित्र कर लीजिये।
अगर आप पेड़ की पूजा कर रही है तो उसके आस- पास भी आपको साफ सफाई कर लेनी चाहिए , सुंदर रंगोली बना देनी चाहिए और उसके बाद आपको अपनी पूजा शुरू करनी चाहिए। पहले पूजा स्थल पर आप सावित्री और सत्यवान की मूर्ति या फोटो स्थापित कीजिये। और पूजा शुरू करने से पहले प्रथम पूज्य गणेश भगवान की पूजा कर ले।
अगर आप घर पर कर रहे हो पूजा तो आपको गणेश भगवान की मूर्ति या फोटो की पूजा करनी चाहिए ,और अगर आप बाहर जाकर पूजा कर रहे हो तो आप अपने साथ में गणपति भगवान की मूर्ति या फोटो साथ ले जा सकते हो। नहीं तो एक सुपारी को गणेश का प्रतीक मानकर उनकी पूजा करे। आप धूप ,रोली , जलाकर पूजा शुरू करे।
लाल रंग का कपड़ा ,सावित्री और सत्यवान को अर्पित करे ,फूल अर्पित करे ,इसके बाद बांस के पंखे से सत्यवान और सावित्री को हवा करे।
इसके बाद बरगद (वट ) के पेड़ के तने पर कच्चा धागा लपेटकर 5 ,11 21 ,51 बार पेड़ की परिक्रमा करनी है।
परिक्रमा करने के बाद वट सावित्री व्रत की कथा सुननी चाहिए और अपने सुहाग ही लम्बी आयु के लिए सत्यवान और सावित्री से प्रार्थना करना चाहिए।
इसके साथ आपको आरती करनी है और दान दक्षिणा करना है चाहें आप ब्राह्मण को दीजिये या तो किसी सुहागन महिला को दे सकती है।
इसके साथ ही आप अपनी सासु माँ को बाइना (सामान ) दे सकती हैं और इस दिन आपको अपने पति की पूजा करनी चाहिए बांस के पंखे से उनकी हवा करनी हैं। पति के हाथ से आपको पानी पीकर व्रत तोड़ना हैं
तो आप इस प्रकार से वट सावित्री के व्रत को रख सकती हैं ।
.