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घर में मंदिर किस दिशा में होना चाहिए और किन बातों का रखना चाहिए ध्यान । In which direction should the temple be in the house and what should be kept in mind ।


घर में किस दिशा में करनी चाहिए पूजा

दोस्तों वास्तु शास्त्र में हमारे घर के मंदिरों की सही दिशा के लिए उपयुक्त जानकारी बताई गयी है। 

दोस्तों मंदिर एक ऐसा स्थान है जहां हम परम पिता परमेश्वर की भक्ति उनकी पूजा करते है ताकि हमारे जीवन पर अच्छा प्रभाव  पड़ सके उनकी कृपा हम पर हो सके। और  जब हमारी कोई मनोकामना पूरी हो जाती है तो हम सबसे पहले अपने घर के मंदिर में अपने ईस्ट के पास उनका धन्यवाद करने जाते है। 

एक तरफ से दोस्तों हम ये कह सकते है कि हमारे घर का मंदिर घर का एक  ऐसा  स्थान  होता है जहां हमको भगवान की पूजा उनकी अराधना करने कहीं और नहीं जाना पड़ता हैं बल्कि ये सब हम अपने घर में ही कर लेते है। 

ऐसे में सवाल ये है कि  हम अपने घर का मंदिर किस दिशा में रखें ?

दोस्तों घर  का  मंदिर यदि आपको बनाना चाहिए तो वो है ईशान कोण .

जी हां दोस्तों ईशान कोण  कमरे का वो स्थान है जहां पर उत्तर और पूर्व के कोने आपस में मिलते है। 

कुल मिलाकर जो उत्तर पूर्व का कोना होता है उसे हम ईशान कोण कहते है ये घर का वो सबसे शुभ स्थान है जिस जगह पर हमें मंदिर का निर्माण करना चाहिए। 

दोस्तों पूजा करते वक्त स्थति इस प्रकार से हो की हमारा मुख पूर्व की तरफ हो तो ये सबसे सुंदर स्थिति होती है। 

दोस्तों यदि ईशान कोण में मंदिर बनाना संभव  न हो तो आप अपने घर का मंदिर पूर्व दिशा की  तरफ बनाये। पूर्व दिशा की ओर  बना हुआ मंदिर अधिकत्तर उत्तर की ओर होना चाहिए। उत्तर के कोने की निकट जितना मंदिर हो उतना अच्छा  रहेगा। 

और दोस्तों पूर्व दिशा में भी मंदिर का  स्थान नहीं मिल रहा है तो आप उत्तर दिशा में भी मंदिर बना सकते हो या रख सकते हो। 

परन्तु ये बात विशेष ध्यान देने योग्य है जब  आप  पूजा करे तो हमारा मुँह पूर्व की ओर होना चाहिए। 

दोस्तों ये तो हो गया आपको मंदिर  किस  स्थान में बनाना  चाहिए बहुत से लोग स्थान की कमी के कारण कहीं भी किसी भी स्थान पर मंदिर बना देते है  जो की उनके लिए  अनिष्टकारी सिद्ध हो जाता है। 

 मंदिर किस दिशा में नहीं बनाना चाहिए 

मंदिर को इन इन स्थानों  को छोड़कर अन्य किसी दूसरे स्थान में बनाने से बचना चाहिए। 

1 - आग्नेय कोण 

2 - नैऋत्या कोण 

3 - पश्चिम  दिशा 

4 - दक्षिण दिशा  

दोस्तों आपको इन दिशा और कोण में आपको मंदिर नहीं बनाना चाहिए क्योंकि ये स्थान मंदिर बनाने के लिए उत्तम नहीं माने जाते है या कहे अशुभ माने जाते है। 

इन स्थानों में बने मंदिरों में हमारा ध्यान एकाग्र नहीं हो पता है और  हम पूजा में ध्यान नहीं लगा पाते है। 

इसलिए दोस्तों इन दिशाओं और कोणों में मंदिर नहीं बनाना चाहिए। 

 मत्वपूर्ण बातें 

1 - आपको मंदिर कभी भी खुद के कमरे में मतलब जहां आप सोते हो वह नहीं बनाना चाहिए। 
2 - आपको अपना मंदिर शौचालय के निकट भी नहीं बनाना चहिए। 
3 - रसोई घर के अंदर भी मंदिर नहीं बनाना चाहिए। 
4 - ध्यान रखें मंदिर के आस - पास गन्दगी नहीं होनी चाहिए साफ सफाई का आपको ध्यान जरूर रखना है। 
5- मंदिर वाले कमरे में गंगाजल और गोमूत्र का पोछा जरूर लगाए और गंगा जल और गोमूत्र का छिड़काव कुशा से करते रहे ताकि वातावरण में पवित्रता रहे। 

वास्तु शास्त्र के अनुसार 

दोस्तों वास्तु शास्त्र के अनुसार कहा गया है की धन की प्राप्ति के लिए उत्तर दिशा और ज्ञान की प्राप्ति के लिए पूर्व दिशा उत्तम होती है। 
और सुख समृद्धि के लिए ईशान कोण उत्तम होता है। 
दोस्तों यदि आप आरोग्य प्राप्त करना चाहते हो तो और घर में यदि कोई बीमार चल रहा है  तो ध्यान रखिये आपके  मंदिर की दिशा दक्षिण पूर्व दिशा में नहीं होना चाहिए अन्यथा घर में बहुत सारे लोग बीमार पड़ सकते हैं। 
दूसरी बाद यदि घर में किसी को मानसिक अवसाद है तो आपको मंदिर  उत्तर -पश्चिम दिशा में न हो। 
अगर धन हानि से कोई बहुत अधिक पीड़ित है तो आप देखिये आपके घर का मंदिर कहीं दक्षिण - पश्चिम दिशा में तो नहीं  है। 
दोस्तों यदि आप बहुत अधिक मेहनत कर रहे है और आपको मेहनत का फल नहीं मिल रहा है तो आपको ध्यान देना है कहीं आपका मंदिर दक्षिण दिशा में तो नहीं। 
तो दोस्तों मंदिर किस दिशा में बनाना चाहिए और अपना मुख किस दिशा में रखना चाहिए ये सभी जानकरी हमने आपको बताई है इसलिए आप भी ध्यान रखिये अपने घर का मंदिर वास्तु शास्त्र के हिसाब से सही  स्थान पर बनाये।










    

  

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