हिन्दू धर्म में साड़ी का महत्व
हिन्दू धर्म में "साड़ी " कहीं युगों से औरतों के द्वारा पहनी आती जा रही है ये मात्र एक कपड़ा ही नहीं बल्कि एक भारतीय संस्कृति के रूप में एक औरत के सौन्दर्य को भी दिखाता है , उसके सम्मान को दिखाता है ,कुल मिलाकर ये एक भारतीय नारी का गहना है । साड़ी पहनकर एका औरत स्वयं पर गर्भित महसूस करती है।
सतयुग से लेकर आज तक कलयुग में भी साड़ी पहनी जाती है। ये प्रथा युगों - युगों से चलती आ रही है , या कहे ये रिवाज देवी- देवताओं के समय से चलता आ रहा है , तभी तो हिन्दू धर्म में पूजा के समय में एक औरत का साड़ी पहनकर पूजा करना उत्तम माना जाता है।
साड़ी एक औरत का सम्मान है उसकी गरिमा है , उसका गहना है और सबसे बड़ी बात ये हमारी भारतीय संस्कृति है।
हिन्दू धर्म में साड़ी खास - तौर पर किसी शुभ कार्य जैसे - पूजा , आरती , शादी , व्रत आदि शुभ कार्य में पहनी जाती है।
हिन्दू समाज में जब किसी के घर पर पूजा होती है तो उस समय साड़ी पहनना शुभ माना जाता है , और पुरोहित या पंडित भी औरतों को पूजा में बैठने से पहले साड़ी पहनकर पूजा करने की सलाह देता हैं । क्योंकि पूजा में औरतों का साड़ी पहनकर पूजा करना ही हिन्दू धर्म के अनुसार उत्तम माना जाता हैं। सनातन धर्म में या कहे भारतीय हिन्दू धर्म परम्परा में महिलाओं का प्रमुख और उत्तम परिधान साड़ी है। भारत देश में बहुत जगह साड़ी को "सारी " के नाम से भी जाना जाता है और युगों -युगों से या कहे प्राचीन समय से ही हिन्दू धर्म में साड़ी को सबसे लम्बा वस्त्र माना जाता हैं।
पूजा पाठ के समय साड़ी का महत्व
पूजा - पाठ के समय साड़ी पहनने का बहुत महत्व है यदि एक औरत साड़ी पहनकर पूजा करती है तो ये उसके लिए उत्तम होता है।साड़ी पहनकर पूजा करना एक औरत का खुद को शादी-शुदा होना दिखाता है क्योंकी अक्सर दोस्तों भारतीयों महिलाओं में साड़ी अधिकत्तर वो ही महिलाएं पहनती है जो शादी-शुदा होती है। पूजा के समय यदि महिला लाल रंग , पीले रंग , केसरिया रंग की साड़ी पहनें तो ये उत्तम माना जाता है।
युगों - युगों से ही साड़ी एक औरत की गरिमा उसके सम्मान को दर्शाने वाला है , यह परिधान इतना लम्बा होता है की इस कपड़े से सरलता से महिलाओं के शरीर को पूरी तरह से ढककर उनकी रक्षा करने के लिए पर्याप्त माना जाता है । दोस्तों साड़ियों का इतिहास बहुत ही प्राचीन माना जाता है , युगों - युगों से साड़ी को हिन्दू / भारतीय महिलाओं का श्रृंगार का एक भाग माना गया है और हिन्दू धर्म में कहीं विशेष उत्सवों में साड़ी को पहनना शुभ माना जाता है।
साड़ी हिन्दू महिलाओं का पहनावा ही नहीं बल्कि उनके लिए ये उनके पूर्वजों की धरोहर है उनका मान है , उनका सम्मान है ,उनकी संस्कृति हैं।
पौराणिक काल से लेकर वर्तमान काल तक प्रचलित यह भारतीय परिधान भिन्न-भिन्न परिवर्तन को संजोय हुए है। सर्वाधिक लम्बा यह भारतीय परिधान पौराणिक ग्रन्थ महाभारत के समय से ही स्त्री की आत्मरक्षा का प्रतीक माना गया है , और ये कथन सत्य है ।
हिन्दू धर्म के वेद ग्रन्थ -पुराणों में साड़ी शब्द का विशेष महत्व बताते हुए वर्णन है। यजुर्वेद में इसका वर्णन किया गया है। इसमें बताया गया है कि - भगवान की पूजा अराधना या किसी भी विशेष उत्सवों और त्योहारों के मौकों पर साड़ी पहनने का अधिक महत्व बताया गया है इसलिए तो हिन्दू धर्म में एक औरत के लिए साड़ी पहनना शुभ माना जाता है।
दोस्तों ये भारतीय परिधान पौराणिक काल से ही स्त्री के सम्मान का प्रतीक माना जाता है आप जानते होंगे महाभारत काल में भरी सभा में द्रोपदी का चीर - हरण दुःशासन के द्वारा हो रहा था तब भगवान श्री कृष्णा ने द्रोपती की इज्जत उसका सम्मान की रक्षा की और उसकी साड़ी को कहीं गुना लम्बा किया। उसी समय से साड़ी को एक स्त्री के सम्मान और रक्षा का प्रतीक माना जाता है।
हिन्दू धर्म या भारतीय विरासत की निशानी माने जाने वाली यह साड़ी न कि प्राचीन समय से महिलाओं के द्वारा पसंद हैं बल्कि आज देश -विदेश में भी ये भारतीय परिधान पसंद किया जा रहा है । साड़ी भारतीय नारी की सादगी , सरलता , सम्मान , और शीतलता का प्रतीक माना जाता है। कुल मिलाकर ये हिन्दू महिलाओं का मान सम्मान सब कुछ है।
दोस्तों भारतीय संस्कृति में पूजा पाठ और धार्मिक कार्यों में महिलाओं का साड़ी पहनना शुभ माना जाता है और एक स्त्री साड़ी में ही पूरी भारतीय नारी लगती है। साड़ी आज से नहीं बल्कि देवी - देवताओं के समय से पहनी जा रही है । माता अम्बे से लेकर दुर्गा ,काली , सरस्वती सभी देवी साड़ी धारण करती है इसलिए तो हिन्दू धर्म में पूजा के समय स्त्री को साड़ी पहनकर पूजा करनी चाहिए।
दोस्तों क्या आप जानते हो आज के समय में साड़ी कौन - कौन से देश में पहनी जाती है ,आइये हमको बताते है।
1 - थाईलैंड में साड़ी पहनी जाती है क्योंकि यहां की परम्परागत पोशाक भी साड़ी है और यहां की महिला भी विशेष कार्यों में साड़ी पहनती है। और ये उनकी प्राचीन विरासत है जो बहुत प्राचीन समय से मानी जाती है।
2 - पाकिस्तान में भी साड़ी पहनी जाती है।
3 - बांग्लादेश में भी साड़ी ही पहनी जाती है और शायद आपको पता होगा पहले ये देश भारत में था और आज भी यहां साड़ी पहनी है ।
4 - दोस्तों नेपाल , श्रीलंका , में भी साड़ी पहनी जाती है।
हिन्दू धर्म में लगभग सभी महिलाएं साड़ी पहनती है परन्तु आज के समय में विदेश के लोग भी साड़ी पहन रहे हैं क्योंकि उनको भी हमारी संस्कृति हमारी धरोहर पसंद आए रही है । कुल मिलाकर यदि आप एक स्त्री हैं तो आपको पूजा - पाठ या किसी भी शुभ कार्य में साड़ी जरूर पहनना चाहिए।
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